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क्यों कांपती हैं गृहस्थ की दीवारें

-गोपाल शर्मा फ़िरोजपुरी घर समाज की प्रथम इकाई है। घरों से मुहल्ला, मुहल्लों से गांव और गांवों से शहरों और नगरों का निर्माण होता है। घर एक ऐसा सुन्दर स्थान होता है जहां मनुष्य स्वयं को सुखद और आनंदित अनुभव करता है। मनुष्य ही नहीं अपितु जीव-जंतु, पशु-पक्षी भी अपने-अपने घरों और घौंसलों में स्वयं को सुरक्षित मानते हैं। एक घर ...

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मैरेज काउंसिलिंग

-डॉ. सन्त कुमार टण्डन रसिक प्रेम-विवाह हो, अरेंज्ड मैरेज हो, अकसर शादी के बाद विच्छेद भले न हो, पर मिठास कम हो जाती है, कड़वाहट भरने लगती है। इससे यही साबित होता है कि शादी के पूर्व और बाद में भी मैरेज काउंसिलिंग की ज़रूरत होती है। इससे विवाह अच्छे और सफल होते हैं, बिगड़ी बातें बन जाती हैं, संबंध ...

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भावी पति-पत्‍नी में डेटिंग कितनी आवश्यक

विवाह जीवन का एक ऐसा अटल मोड़ है जो प्रत्येक व्यक्‍ति के जीवन में देर या सवेर आकर रहता है। वैवाहिक बन्धन में बन्धने से पूर्व सगाई की रस्म निभाई जाती है। सगाई से लेकर विवाह तक का अन्तराल एक ऐसा नाज़ुक दौर है जिस पर वैवाहिक जीवन की क़ामयाबी या नाक़ामयाबी टिकी होती है। सगाई की रस्म के साथ ...

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परिक्रमा

“रवि, तुम्हारा जो भी मेरे पास था मैं गंवाना नहीं चाहती थी, अब तुम सब नये सिरे से भी तो बना सकते हो।”

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मेरे तुम्हारे हमारे मां-बाप

-दीप ज़ीरवी मानव सामाजिक जीव है। परिवार की सबसे छोटी इकाई है मानव। परिवार, जो समाज की सब से छोटी इकाई है। इस समाज को अनेक संस्थाएं संचालित करती हैं इन अनेक संस्थाओं में से एक संस्था है ‘शादी’। जब शबनमी यौवन की पुरवाई, अल्हड़ता को झंकृत करने को आतुर होती है, ऐसे मौसमों में शहनाइयां मनों को बाग-बाग कर ...

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आर्थिक आरक्षण ही कर सकता है जातिगत आरक्षण के उग्रवाद का अंत

– मनोज चौहान आज़ादी के उपरान्त संविधान निर्माताओं द्वारा आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ चुके लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था का प्रावधान किया गया था। उस वक़्त यह तय किया गया कि यह आरक्षण मात्र दस वर्षों के लिए अस्थाई तौर पर होगा। जाति को आरक्षण का आधार बनाना ही संविधान की मूल भावना को नकारना प्रतीत होता ...

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सावित्री

  घर में शादी की चहल-पहल थी। सावित्री की नज़रें रास्ते पर लगी थी। ‘सुनो जी, मानव, मधु और बच्चे अभी तक नहीं पहुँचे। उन्हें फ़ोन करके पूछ तो लो, कहाँ हैं अब तक?’ सावित्री ने अपने पति दीनानाथ की ओर मुड़ते हुए कहा। ‘दादी जी, मैंने अभी फ़ोन किया था, वे रास्ते में हैं – बस पहुंचने ही वाले ...

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एक टांग वाला मुर्गा

वह पैटून पुल आस-पास के छ: गांवों को जोड़ता था। जब से उज्ज दरिया पर यह पुल बनाया गया था लोगों को बड़ी राहत मिली थी। बॉर्डर पर बसे गांव सकोल के लिये यह पुल बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ था। इस गांव और समीप के लगते गांवों की ज़रूरतों को देखते हुये गांव का माध्यमिक विद्यालय हाई स्कूल में तबदील ...

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खुशबू

  -सुरेन्द्र कुमार ‘अंशुल’ आज मैं बहुत खुश हूँ। आँखों से नींद कहीं दूर छिटकी हुई थी। खुली खिड़की के उस पार मुस्कराते हुए चाँद को देख कर मेरे होंठ मंद ही मंद मुस्करा रहे हैं। मन का पंछी नीले आकाश पर फैले बादलों के पास उड़ान भर रहा है। क्यों न हो ऐसा? आज … हाँ आज ही मुझे ...

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