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रेप मुक्ति दिवस कब मनाओगे
“भारत-वर्ष एक ऐसा देश है जिसमें सैंकड़ों दिवस मनाए जाते हैं। क्या वह दिन भी आयेगा जब हम रेप मुक्ति दिवस मनायेंगे ?
Read More »सपनों का राजकुमार और सपनों की राजकुमारी
-दीपक कुमार गर्ग शादी से पहले लड़के और लड़की दोनों की ओर से एक दूसरे को देखने की रस्म हमारे समाज में एक रिवाज़ बन चुकी है। परंतु कई बार देखने-दिखाने के चक्कर में केवल बाहरी रंग रूप से प्रभावित होकर ग़लत फ़ैसले भी ले लिए जाते हैं। पसंद न आने पर मना करना तो पहली शर्त ही होती है। ...
Read More »पत्नियां क्या चाहती है पतियों से?
-दीपक कुमार गर्ग पत्नियां हमेशा यह कामना रखती हैं कि पति उनके साथ हमेशा ईमानदार बना रहे। सदा सच बोले, कभी भी झूठ न बोले। परन्तु कड़वा सच सुनने की पत्नियों की आदत नहीं होती। पतियों के लिए ज़रूरी है कि पत्नियों के साथ नासमझी करके अपने घर को युद्ध का मैदान न बनाएं। बातचीत में संतुलन बनाए रखें। मैं ...
Read More »इस ज़िंदगी में
दास्ताने इश्क
ऑनर किलिंग या किलिंग ऑनर
“निरन्तर चल रही ऑनर किलिंग सोचने को विवश कर रही है कि जन्मदाता का हत्यारा बन जाने में कौन सम्मान महसूस कर सकता है?
Read More »बलबीर
एक थी नर्स बलबीर। अब आप गुस्सा न करें कि कहानी की शुरूआत अजीब है। अब आप ही कहिए जब राजा-रानी होते थे तो कहानी की शुरूआत बड़ी आसान थी। कोई रोकने-टोकने वाला नहीं था। बस क़लम उठाई और शुरू कर दी कहानी, एक थी रानी या फिर एक था राजा या फिर एक था राजा, एक थी रानी। अब ...
Read More »बापू का देश
– डॉ. अनामिका प्रकाश श्रीवास्तव “तुम भी किस ज़माने की बात करते हो, सुखी? अरे अब ये सब बातें छोड़ो, ये सत्य, ये अहिंसा, ये सदाचार, ये नैतिकता, ये सब बुज़दिलों की बातें हैं। वो ज़माना गुज़र गया जब लोग इनके बल पर ही समाज में ...
Read More »श्रीमान नायक
-अरविंद कौन नायक बनना नहीं चाहता? यह दबी-सी इच्छा तो सब की होती है। ऐसी इच्छा मुझ में भी जागी थी जब मुझे शुरू-शुरू में नायक की परिभाषा का पता चला था। “श्रीमान नायक” मैं अभी सातवीं–आठवीं का ही छात्र था। पंकज और प्रताप दोनों मेरे दोस्त थे। हम तीनों साथ घूमते–फिरते और एक बैंच पर ही बैठते। हम में ...
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