लघुकथा

भगवान् का घर

उसे समझाया गया, “जयन्त को तो कोई शिकायत नहीं। तुझे प्यार करता है। सब ठीक हो जाएगा धीरे-धीरे। चिन्ता मत कर।” सब सुनने के बाद माता-पिता कहते “कैसे रखें ब्याही बेटी को घर।”

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सहनशक्ति

उसने माहौल को विनोदपूर्ण बनाने और घायलों की हौसला-अफ़ज़ाई करने के लिए हंसते हुए कहा, ‘दोस्तो! नक़ली टांग का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इस पर चोट लगने का एहसास नहीं होता।’

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काल्पनिक नज़रें

मैं उसी सेल्ज़गर्ल के बारे में सोच रहा था, ज़्यादा उम्र नहीं थी उसकी, गज़ब की सुन्दर थी वह। दोस्तों की क्या मैंने स्वयं अपनी नज़रों को उसके शरीर पर थिरकते महसूस किया था। वह कभी-कभी हमें रंगे हाथों पकड़ लेती तो ‘झेंप’ जाती।

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हाथी दांत

मैं अपने इस आदर्श नायक को ज़िन्दगी की किसी लड़ाई में कहीं हारते हुए नहीं देखना चाहता था, 'जो भी हो, जहां भी मेरी मदद की ज़रूरत हो करूंगा।'

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चलेंगे साथ

हर कोई उससे बात करने से क़तराने लगा था। वो जहां भी जाती पहले से बैठे हुए उसके सहपाठी उठकर चले जाते। उसके सहपाठी हंसी-ठिठोली कर रहे होते और अन्या वहां पहुंच जाती तो सब मौन धारण कर लेते।

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समस्या

'ओफ़! ओह! अब एक और नयी समस्या। मां जी के पास टेलीग्राम करके कह दो कि अपना प्रोग्राम कैंसल कर दें, कह देना कि हम लोग नौ तारीख़ को पंद्रह दिन के टूर पर बाहर जा रहे हैं।'

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पागल

"मगर हमने तो सुना था कि वह बहुत आदर्शवादी है।" "हां, इसीलिए तो हम उसे पागल कहते हैं!"  "बहन जी, बात कुछ समझ में नहीं आई!"

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गारंटी

मां-बाप की सारी ज़िंदगी इस विश्वास के सहारे कट जाती है कि बेटा बड़ा होकर उनकी सेवा करेगा। क्या इस विश्वास की डोर इतनी कच्ची होती है कि मां-बाप को दो वक़्त की रोटी के लिए बेटों को लालच देना पड़े?

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आप कौन होते हैं?

अभिनव ने अपनी थर्मस में से कुछ जल थर्मस के ही गोलाकार ढक्कन में उड़ेल कर उस छोटे बच्चे के माता-पिता से निवेदन किया सुनिए आप अपने बच्चे को पानी पिला दें। पानी जूठा नहीं है। अगला स्टेशन अभी थोड़ी दूरी पर है। 'जी शुकिया।'

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