साहित्य सागर

होली का गीत

मैं बहुत देर से खड़ा हूं अपनी गली के मोड़ पर अपने मन की उमंग को अपने तन से जोड़ कर लोग निकल पड़े हैं अपने घरों से होली-दुलहन के चेहरे को सजाने-हंसाने प्रकृति-मां का प्यार और दुलार लुटाने मैं इस उम्मीद में खड़ा हूं

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ए नए साल

ए नए साल तू लाया क्यों नहीं साथ सुलगती नदियों के लिए नीर उदास खड़े पेड़ों के लिए गीत मुरझाते फूलों के लिए ताज़गी वीरान आंखों के लिए खुशी हंसी विहीन होंठों के लिए हंसी।

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राजनीति का हलवा

आने वाले इलेक्शन की कुछ ऐसी ही तैयारी है रूठा कोई है, कोई मनाता और कहीं समझौता है देख रहे हैं दलबदलू किसको कहां पर मौक़ा है? कौन कहां पर हुआ है आऊट किस को मिल गया चौका है?

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आओ चुनाव-चुनाव खेलें

-विद्युत प्रकाश मौर्य बचपन में आईस-पाईस खेलते थे पर अब उनका महत्वपूर्ण शगल बन गया है चुनाव-चुनाव। जल्दी-जल्दी चुनाव न हो तो नेता जी का मन नहीं लगता है। उनका बस चले तो वे हर साल चुनाव करवाते रहें। इससे क्या होगा जनता वोट देने में ही उलझी रहेगी फिर रोटी कैसे मांगेगी। लिहाज़ा उन्होंने पांच साल पूरे करने का ...

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चुनाव के बाद

नेताओं के शब्दों की झड़ी मुहावरों की लड़ी टूटती नहीं चुनाव से पहले लगते हैं वायदों के अंबार झांसे बेशुमार स्वास्थ्य सेवाओं के रोज़गार के, शिक्षा प्रसार के

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जय हो

जय हो, जय हो, जय हो हिमगिरि और रेगिस्तान पूर्वांचल और दक्कनमान नदियां जिसकी शोभा बढ़ाएं ऐसा भारत का मैदान केरल से कश्मीर तक भारत के भूभाग की जय हो, जय हो, जय हो

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नव-वर्ष का संदेश

कारण क्या है मिल नहीं सकते हिन्दूू , मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सदियों से यह राग अलापें हम सब आपस में हैं भाई फिर कौन शौतान छिपा है हममें, जो ये दंगे करवाता है अब नहीं करनी क़त्लो-ग़ारत, यही संदेश लाता है ....................... साल नया जब आता है

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साक्षात्कार सन् 2017 का

-बलदेव राज ‘भारतीय’ 22 दिसम्बर की रात। सर्दी अपने पूरे यौवन पर थी। श्रीमती जी एवं बच्चे सो चुके थे। चूंकि आज मेरा जन्मदिन था और इस अवसर पर मैंने अपने कुछ साहित्यकार मित्रों को आमंत्रित किया हुआ था। उन सब के खान पान का रूखा सूखा इंतज़ाम श्रीमती जी के ज़िम्मे था। एक अच्छे पति की भांति मैं भी ...

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एक और नया साल

सुबह-सुबह (अक्सर) अख़बार पढ़ कर चौंक जाना। कश्मीर के कुछ बाशिंदे और रक्षा करते जवान का शहीद हो जाना। एक ग़रीब बच्चा हाथ पसारे किसी अधेली के इंतज़ार में।

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