दीप ज़ीरवी बाबरी मस्जिद या मन्दिर राम का क्या-गौण होती जा रही हैं वर्जनाएं?! नारी बचपन यह प्यारा किधर जा रहा है हम भी खड़े हुए राष्ट्र निर्माण या चरित्र निर्माण ओ बटोही आज की बहू कभी सास भी तो होगी बापू की हत्या 30 जनवरी 1948 को नहीं हुई थी फ़र्क़ बहुत है अलबत्ता ख़ुदगर्ज़ ये कहां आ गए हम घर, घरवाला, घरवाले मेरे तुम्हारे हमारे मां-बाप दो पाटन के बीच में शर्म-धर्म का मर्म केवल लड़कियों के लिए क्यों ज़िन्दगी जीने के लिए है बेशक़ पलना छोड़ कर जीना सीखें सहज प्रीत की सहज (साखी) कहानी मां-बाप, बच्चे और जनरेशन गैप पति पत्नी के बीच में तमाम उम्र का निचोड़ बुढ़ापा -दीप ज़ीरवी 2015-05-27 admin
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