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फ़ैशन का असर

-सुमन अपने पसंदीदा हीरो, हीरोइनों व कलाकारों की भांति दिखने की प्रवृत्ति ने बच्चों में फ़जूल ख़र्च को बढ़ावा दिया है। अधिकांश लोगों व युवाओं के पास मनोरंजन का साधन टेलीविज़न है। लेकिन इन दिनों प्रसारित कार्यक्रमों में प्रचलित फ़ैशन के चलते लोगों की जेब ढीली हो रही है। बात सिर्फ़ पहरावे की ही नहीं हो रही, घरेलू साज-सज्जा से ...

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निकम्मे आदमी की डायरी

-धर्मपाल साहिल शाम 6 बजे-(ग़ैर छुट्टी वाला दिन) हम दफ़्तर से लौटे तो ज्वालामुखी सी फटने को तैयार पत्‍नी ने हमें पानी के गिलास की जगह बिजली का बिल पकड़ाते हुए खूंखार अंदाज़ में गुर्राते हुए कहा, “देख लो, बिजली का कितना बिल आया है हमारा?” “कितना आया है माड़ू की मां?” “पूरा हज़ार रुपये।” “फिर क्या हुआ, पहले भी ...

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कार्यकारी महिलाओं के लिए सुझाव

    -दीपक कुमार गर्ग  सुबह का समय एक सामान्य घरेलू महिला के लिए काफ़ी व्यस्तता भरा होता है। चाय बनाना, नाश्ता तैयार करना, बच्चों को तैयार करना, उन्हें स्कूल भेजना, पति एवं बच्चों के लिए दोपहर के भोजन का टिफ़िन पैक करना आदि। परंतु वह महिला जो जॉब करती है उनके लिए सुबह के समय की यह भागदौड़ एक ...

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भाभी

  “मैं उसके बिना नहीं रह सकती चाचू। मैं उसे बहुत प्यार करती हूं। आप प्लीज़ मुझे उससे दूर मत करिये। चाचू आप मुझे ज़हर लाकर दे दो। मैं मर जाऊंगी मगर उसके बिना नहीं रह पाऊंगी। प्लीज़ चाचू प्लीज़” कहकर वह मेरे गले में बाहें डालकर रोने लगी थी। दरअसल मैं ही उसका चाचा हूं और मैं ही उसकी ...

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अल्लाह मार डाला फ़ैशन ने

  -रिपुदमन जीत ‘दमन’ आज के दौर में फ़ैशन का तो यह आलम है कि आज एक फ़ैशन तो कल दूसरा। सुबह कोई और तो शाम को कुछ और। हमारे पड़ोसी वर्मा जी का बेटा, हाथ में कपड़ों का बैग थाम बदहवासी की दशा में भागता आ रहा था। पूछने पर बोला कि दर्ज़ी के यहां से कपड़े लेकर आया ...

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जब हमने भी खाया बूफे

कवि-गोष्ठी का सुनकर मन कसैला हो उठा। पर क्लब जाने की कल्पना से रोम-रोम खिल उठा। मेरे पैर ज़मीन पर नहीं पड़ रहे थे। चाय पीकर मैं क्लब जाने की धुआंदार तैयारी में जुट गई और जो तैयारी मैंने तब की उसे याद करके अपनी बेवकूफ़ी पर आज भी हंसी आ जाती है।

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अब तो कुछ सोचो

अगर कन्या भ्रूण हत्याओं का दौर इसी प्रकार चलता रहा तो 2035-2050 तक हालात बेहद भयंकर हो जाएंगे।अविवाहित और यौन भूख से बेहाल ये पुरुष कई प्रकार के नशों व बुराइयों का भी शिकार हो चुके होंगे। इनको बहन या मौसी आदि रिश्तों के न अर्थ मालूम होंगे न रिश्तों की पवित्रता।

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ऐसे करें मजनुओं की छुट्टी

-डॉ. सन्त कुमार टण्डन लड़कियां अकसर मजनूं नुमा लड़कों से परेशान रहती हैं। वे पीछे पड़े रहते हैं। पिण्ड नहीं छोड़ते। क्या आपकी ज़िंदगी में भी कोई ऐसा है जिससे आप सच में छुटकारा चाहती हैं। पहले यह अच्छी तरह जान लें कि आपके मन में क्या है। तो लें, कुछ तरीक़े बताता हूं, उनकी छुट्टी करने के- • कमिटमेंट ...

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यौन शोषण की शिकार होती कामकाजी महिलाएं और कानूनी संरक्षण

-के.के.अरोड़ा कामकाजी महिलाओं के शारीरिक और मानसिक शोषण की बढ़ती घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में उच्चतम न्यायालय ने गृह मंत्रालय को जो नीति संबंधी निर्देश जारी किए हैं, उनमें महिलाओं को हर प्रकार के शोषण के ख़िलाफ़ पूर्ण सुरक्षा की गारन्टी दी गई है। संरक्षण विषयक नीति संबंधी इन निर्देशों में कहा गया है कि सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं, उपक्रमों ...

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