Author Archives: admin

आओ टैंशन ख़त्म करें

-दीपक कुमार गर्ग तीस साल की उम्र में आते-आते अक्सर ही हम चिंता, टैंशन, तनाव या डिप्रेशन के शिकार होने लगते हैं। हमें बात-बात पर गुस्सा या चिड़चिड़ाहट होने लगती है या हम उलझन में पड़ जाते हैं। बीमारियां, निराशा, उदासी जैसे नकारात्मक विचार हमें अपने शिकंजे में ले लेते हैं। हमको पता ही नहीं लगता कि हम कई गंदी ...

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पति-पत्‍नी की उम्र व सामाजिक परिवेश

-डॉ. प्रेमपाल सिंह वाल्यान युगों से नर-नारी समानता का एक मूल तथ्य परिचालित किया जाता रहा है कि पुरुष स्त्री की अपेक्षा साधारणतया ज़्यादा बड़े और शक्‍ति‍शाली होते हैं और सामान्यत: भौतिक हिंसा में जीत उन्हीं की होती है। मानव सभ्यता के शुरू से ही, स्त्रियों को पुरुषों के भौतिक हमलों से स्वयं की रक्षा करनी पड़ी है। यहां तक ...

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मायका होता मां के होते

सही अर्थों में किसी लड़की का अपने मायके के साथ रिश्ता तब तक ही क़ायम रहता है, जब तक उसकी मां जीवित रहती है। आजकल तो मां की मौत के बाद लड़कियों का तो अपने मायके जाने का अर्थ ही सीमित-सा हो गया है। मां के जीते जी ही बेटी अपने मायके को अपना घर कह सकती है। मां के ...

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पाबंदियां सिर्फ़ हमारे लिए क्यों?

-रीना चेची ‘बेचैन’ क्या आपको भी कुछ-कुछ ऐसा लगता है कि आपको रोका जाता है, टोका जाता है। क्यों? क्योंकि आप लड़की हो। सारे बंधन, सारे क़ायदे-कानून और सारी पाबंदियां हमारे लिये ही क्यों? हम यानी लड़कियां अपने मन की क्यों नहीं कर सकती? हमसे कहा जाता है ऐसा करो, ऐसा मत करो, वहाँ जाओ, वहाँ नहीं जाओ। हम वह ...

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प्यार और धर्म के क्षेत्र में ठगी जाती है नारी

  -गोपाल शर्मा फिरोज़पुरी प्रकृति ने सृष्‍ट‍ि में नारी को कोमलांगी, सुन्दर, एवं सुशील होने के साथ-साथ संवेदनशील विनम्र और भावुक भी बनाया है। वह चंचल, मधुर और प्रिय भाषी है। नारी पुरुष से शारीरिक और मानसिक तौर पर कहीं भी निर्बल नहीं बौद्धिक स्तर पर वह मर्द को पछाड़ने की क्षमता रखती है। परन्तु अपने चंचल और भावुक स्वभाव ...

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चुप रहने की सज़ा

-मीरा हिंगोरानी कभी-कभी इंसान हालात के हाथों मजबूर हो जाता है। हालात उस पर इस क़दर हावी होने लगते हैं कि वो बस पिंजरे में क़ैद परिन्दे-सा फड़फड़ा कर रह जाता है। हमने बहुत चाहा पत्‍नी हमारे विचारों से सहमत हो। हमारी हर बात में हां में हां मिलाकर चले। क्या है कि हमें लिखने की बेहद बुरी बीमारी है। ...

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कैसी होनी चाहिए पहली मुलाक़ात

-दीपक कुमार गर्ग अंग्रेज़ी में एक कहावत है “फर्स्ट इम्प्रेशन इज़ लास्ट इम्प्रेशन” इसको हिन्दी में परिभाषित किया जाए तो यह कहा जाएगा कि आप जिस व्यक्‍त‍ि को पहली बार मिलने पर जिस तरह का व्यवहार करते हो उस व्यक्‍त‍ि के दिमाग़ में ताउम्र के लिए आपके बारे में वैसी ही छवि बन जाती है। ऐसे हालात में कौन नहीं ...

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नारी दिवस महज़ एक औपचारिता

-डॉ. अंजना प्रतिवर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कुछ विचार संगोष्‍ठियां होती हैं, महिला उत्थान की बड़ी-बड़ी बातें होती हैं और औपचारिकताओं की खानापूर्ति होती है और महिलाएं वहीं की वहीं अपनी परिस्थितियों को झेलती हुई, शोषण की चक्की में पिसती हुई रह जाती हैं। यह दिन हमारे समक्ष कई प्रश्‍न छोड़ जाता है जैसे क्या ...

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