विवाह एक ऐसा संस्कार है जो केवल दो दिलों को ही नहीं मिलाता बल्कि दो परिवारों को भी बांधता है। लड़के और लड़की के नए रिश्ते बनते हैं। यह रिश्ते इतने नाज़ुक होते हैं कि इन्हें निभाने के लिए बहुत सूझबूझ से काम लेना चाहिए। हालांकि शादी के बाद लड़का और लड़की दोनों के नए रिश्ते बनते हैं लेकिन क्योंकि ...
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प्रथाओं की ज़ंजीर लोक लाज की ओट में चल रहा रिश्तों का कारोबार
उसके आश्चर्य की उस वक़्त कोई सीमा नहीं रहती जब संबंधियों के लालची न होने पर भी उसका बजट रस्मों-रिवाज़ों के हाथों ही लम्बा खिंचता चला जाता है।
Read More »दो पाटन के बीच में
-दीप ज़ीरवी सदियों से नारी के पांव में परतन्त्रता की बेड़ियां खनकती रही हैं। चार दीवारी में सीमित मातृ शक्ति का कार्य मात्र बच्चों को जन्म देने का माना जाता रहा है। भारत आज आज़ाद है, 68 बरस हो गए आज़ादी की दुल्हन को ब्याह कर आए हुए। भारत की आज़ादी सम्पूर्ण आज़ादी नहीं, 50 प्रतिशत भारत आज भी परतंत्र ...
Read More »मानव जीवन में धर्म का महत्त्व
-प्रेम प्रकाश शर्मा सृष्टि-योजना में किसी भी तत्व, पदार्थ, स्थिति, कृत्ति, भाव आदि के ठीक–ठीक मूल्यांकन कर सकने से पूर्व उसके मर्म को समझ लेना अनिवार्य होना चाहिए । इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट है कि ‘धर्म’ क्या है, यह निश्चित किया जाए। कहा गया है ‘धारयति इति धर्म:।’ अर्थात् जो धारण करें, वही धर्म ...
Read More »आध्यात्मिकता के प्रयोग: व्यर्थ की निवृत्ति
-प्रो: हरदीप सिंह आध्यात्मिकता शब्द यदि कुछ व्यक्तियों का ध्यान अपनी ओर खींचता है तो वहीं आध्यात्मिकता के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ने वाले व्यक्तियों की भी कमी नहीं है। आध्यात्मिकता को पसंद और नापसंद करने वालों की काफ़ी तादाद है। इसका कारण यह है कि हमें ऐसे व्यक्ति बहुत कम संख्या में मिलते हैं। जिनके जीवन में हमें रूहानियत की ...
Read More »आध्यात्मिकता के प्रयोग
-प्रो.हरदीप सिंह आत्म-सुख में सन्तुष्ट रहना सभी सुखों सें श्रेष्ठ है और संतुष्टता सर्वगुणों में शिरोमणि है। सभी मानवीय गुणों का सरताज है सन्तोष, क्योंकि सन्तुष्ट व्यक्ति राजा के समान सुखी रहता है। यह तो संभव है कि कोई राजा भरपूर खज़ाना होने के बावजूद भी खुश न हो परन्तु संतुष्ट व्यक्ति ऐसा बेताज बादशाह होता है जिसके पास सदा ...
Read More »अश्लीलता के विरुद्ध जीतना है एक और महाभारत
–मुनीष भाटिया आज यदि समाज पर दृष्टि डाली जाए तो यहां ऐसी वृत्तियां पनप रही हैं जिसमें नैतिक शिक्षा, सदाचार की अपेक्षा अनैतिकता व भ्रष्ट आचरण को महत्त्व दिया जा रहा है। इन सबका खामियाजा दुर्भाग्य से नारी समाज को भुगतना पड़ रहा है। समाज की भ्रष्ट प्रवृत्ति के कारण नारी को वस्तु बनाकर उपयोग किया जा रहा है। सौंदर्य ...
Read More »अधिकारों से वंचित आधी दुनियां
–श्री गोपाल नारसन जहां भी नारी का नाम सामने आता है, वहीं एक कोमल, कमज़ोर, लाचार अबला की तस्वीर सामने आ जाती है। कहने को हम 21 वीं सदी में पहुंच गए हैं, लेकिन आज भी नारी को दुनिया में आने से रोकने के लिए उसकी गर्भ में ही हत्या करने का घिनौना अपराध प्राय:शहर, कस्बे व गांव में हो ...
Read More »लड़कियों के प्रति मानसिकता बदलनी होगी
–गोपाल शर्मा फिरोज़पुरी युग बदला इतिहास बदला मगर आधुनिक संसार में सभ्य समाज आज भी पुरानी परिपाटी का परित्याग नहीं कर पाया। जन्म-जन्मांतरों से हमारी मानसिकता अभी भी उसी पड़ाव पर खड़ी है जहां सदियों पहले खड़ी थी। परिवार, जिससे मिलकर समाज का निर्माण होता है तथा जिस समाज से विकसित राष्ट्र का निर्माण होता है। वर्तमान वैज्ञानिक युग में ...
Read More »शर्म-धर्म का मर्म केवल लड़कियों के लिए क्यों
सुनो.....यह मत करो.... वह करो..... यह मत पहनो .... वह पहनो ..... यहां मत जाओ .... वहां जाओ.... उससे बात मत करो .....
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