घर मेहमानों से खचाखच भरा था। तिल रखने की भी जगह न थी। सभी के चेहरे पर एक अनोखी चमक व चित्त में उल्लास था। और हो भी क्यूं न? घर में पहली शादी जो थी- सुषमा और आलोक की लाड़ली बेटी कंचन की। ढोलक की थाप के बीच सुहाग गीतों से वातावरण गूंज रहा था। शहनाइयों की गूंज हवा ...
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शॉपिंग मेनिया महिलाओं में विशेष एक मानसिक रोग
-मिलनी टण्डन नए ज़माने, नए दौर में, तरह-तरह के मानसिक रोगों की संख्या बढ़ती जा रही है- पुरुषों और महिलाओं दोनों में। ख़ास बात यह है कि स्वयं रोगी को अपने रोग का ज्ञान या आभास नहीं होता। ऐसा इस कारण कि वह रोग उसकी आदत या प्रकृति या स्वभाव में शुमार हो जाता है। दूसरा व्यक्ति जो रोगी के ...
Read More »बिन फेरे हम तेरे कब तक रहेंगे
-धर्मपाल साहिल भारत एक समृद्ध एवं सुसंस्कृत परम्पराओं वाला देश है, जिस कारण विश्व भर में भारत की एक विलक्षण पहचान बनी है। इन्हीं परम्पराओं में एक है विवाह परम्परा। प्रजातियों की निरन्तरता एवं अनुवांशिक विकास हेतु समाज शास्त्रियों ने परिवार गठन के कुछ नियम गढ़े और सदियों से हमारा समाज इस परम्परा का पालन करता आ रहा है। आरम्भिक काल ...
Read More »नारी पुरुष का पूरक रुप है
-रमेश सोबती इस देश में स्त्रियों के प्रति हिंसा गर्भ से ही आरम्भ होती रही है, जो जीवन भर रहती है। जन्म से पहले ही लिंग चयन और इस के परिणाम स्वरूप बालिका-शिशु भ्रूण की हत्या हिंसात्मक हद तक बढ़ जाती थी, जिस से महिलाओं की स्थिति दिन-ब-दिन दूभर होती गई। लैंगिक आधार पर हिंसा का कोई कृत्य जिस से ...
Read More »जाट आरक्षण का विरोध क्यों
-सिमरन जाट आरक्षण के लिए आंदोलन के बाद सोशल मीडिया पर जिस तरह से उसका विरोध हुआ उससे कई बातें मन में उठीं। आख़िर जाट आरक्षण का विरोध इस तरीक़े से क्यूं किया गया। यह जाट आरक्षण का विरोध है:- यहां पहले मैं यह बात स्पष्ट करना चाहती हूं कि जिस प्रकार उग्र तरीक़े से आजकल आरक्षण का विरोध हुआ ...
Read More »कल्पना कल्पना से यथार्थ तक
यादें
बापू की हत्या 30 जनवरी 1948 को नहीं हुई थी
– दीप ज़ीरवी मोहन दास कर्मचन्द गांधी व गुजरात, गुजरात व भारत एक दूसरे से भिन्न नहीं है यह शाश्वत सत्य है, जैसे यह सत्य है वैसे ही यह भी सत्य है कि बापू की हत्या 30 जनवरी 1948 को नहीं हुई थी। ! ! ! आश्चर्य मत कीजिए। किसी भी व्यक्ति को मारने के लिए केवल उसका देहांत ही ...
Read More »तलाश का सफ़र
-दलबीर चेतन चारों तरफ़ शोक-सा बना हुआ था कि श्रद्धामठ डेरे के स्वामी प्रकाश नंद नहीं रहे। ख़बर सुनते ही श्रद्धालु एक ख़ास तरह के मानसिक संताप में ग्रस्त हो गए। वह उनके साथ, उनकी शख़्सियत के साथ, उनके प्रवचनों के साथ श्रद्धा की पूर्णतः तक जुड़े हुए थे वे उनकी मृत्यु की ख़बर सुन कर स्तब्ध हो गए। इस ...
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