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मनुष्य विकास क्या सचमुच बंदर से हुआ है?

-धर्मपाल साहिल आज से लगभग दो सौ साल पूर्व इंग्लैंड वासी चार्लस डार्विन ने जीव विकास का सिद्धान्त पेश कर दुनियां भर में तहलका मचा दिया था। उनके इस सिद्धान्त को दुनियां भर के स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाया जा रहा है और पूर्ण मान्यता भी मिली है। डार्विन का सिद्धान्त “प्राकृतिक वर्ण” के नाम से प्रसिद्ध हुआ। डार्विन ने कई प्रयोगों ...

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शाकाहारी भोजन और सेक्स

सेक्स सहज और कोमल एहसास है। यह जटिल तब बन जाता है, जब व्यक्‍त‍ि अपनी यौन-शक्‍त‍ि पर संदेह करने लगता है और फलस्वरूप उत्तेजक एवं यौन-शक्‍त‍िवर्द्धक औषधियों का आँख मूंद कर इस्तेमाल करने लगता है। उसे इस बात का बोध नहीं होता कि इन औषधियों का यौन उत्तेजना पर क्षणिक ही प्रभाव पड़ता है। संगीता के पति यौन-संबंधों के मामले ...

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रिश्तों के भीतर झांके

  -जसबीर चावला इस संसार में हर प्राणी प्रशंसा और प्यार का भूखा है। बचपन में मां-बाप का लाड़-दुलार, शिक्षकों, गुरुजनों का स्नेह, दोस्तों-हमजोलियों का साथ, मनुष्य के व्यक्‍ति‍त्व (पर्सनैलिटी) के विकास के लिये बहुत ज़रूरी है। जवानी में जीवन-साथी का प्रेम इसीलिए यौन-संतुष्‍ट‍ि से ज़्यादा मायने रखता है और शायद इसीलिए पति-पत्‍नी का संबंध दोनों से विशेष ध्यान की ...

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ससुराल

शादी के बाद पहली बार रीना घर रहने आई। बड़ी मुश्किल से दस दिन रहने की अनुमति मिली थी। घर पहुँचते ही उसकी निगाहें माँ के कमरे, घर के कोने-कोने पर घूमने लगी। मैं हैरान थी ऐसा क्यूँ? कुछ देर बैठकर उसने मेरे कमरे का कोना-कोना झाड़ दिया। परदे निकाल कर दूसरे बदल दिये। हर चीज़ साफ़ कर दी। मुझे ...

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टैलीवुड भी चल निकला बॉलीवुड की राह

बॉलीवुड सदैव ही दर्शकों के दिलों में समाया रहा है। फ़िल्मी सितारों का उन पर सर्वाधिक प्रभाव रहा है। पृथ्वी राज कपूर से लेकर रणबीर कपूर तक का फ़िल्मी सफ़र अपने आप में एक इतिहास को समेटे हुए है। पृथ्वी राज कपूर द्वारा अभिनीत मुग़ल-ए-आज़म आज भी सभी की पसंदीदा फ़िल्म है। पृथ्वी राज कपूर ने मुग़ल-ए-आज़म अकबर के रूप ...

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वह युवक

-शबनम शर्मा हम पिछले सप्‍ताह ट्रेन में सफ़र कर रहे थे, हमें नीचे की 2 सीटें मिली थी और सामने वाली में एक छोटा सा परिवार बैठा था। पति-पत्‍नी और नन्हीं सी बालिका। देहरादून से गया तक वो भी हमारे हमसफ़र थे। बच्ची 2-2½ साल की थीे। कभी अपनी वाली खिड़की में तो कभी मेरे वाली। जिस तरफ़ भी प्लेटफार्म ...

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प्रौढ़ावस्था की समस्याएं

-डॉ. प्रेमपाल सिंह वाल्यान मानव जीवन को सतायु माना गया है यानि 100 वर्ष का जीवन काल जिसे 25-25 वर्ष के चार भागों में बांटा गया है जब मानव अपने जीवन काल की अर्धशताब्दी पूरी कर चुका होता है तो उसकी प्रौढ़ अवस्था शुरू होती है। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि प्रत्येक अवस्था के अपने सुख-दुःख होते ...

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